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शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम् ।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

मम सर्वाभीष्टसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नीः, वां वीं वागधीश्वरी तथा।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः

श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्

मां दुर्गा की पूजा-पाठ में शुद्धता का विशेष ध्यान more info रखें. सुबह-शाम जब भी आप ये पाठ करें तो स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और फिर इसे शुरू करें.

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।

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